मोटापा

मोटापा अपने आप में एक रोग है। मोटा व्यक्ति आलसी होता है और रोग भी उस पर जल्दी आक्रमण करते हैं। उसकी आयु भी लंबी नहीं होती। मोटापे का बड़ा कारण पिट्यूटरी (पीयूष)-ग्रंथि तथा थायराइड ग्रंथि के ठीक से कार्य न करना है। पिट्यूटरी ग्रंथि, माथा जहां टीका लगाया जाता है, नाक के भूल भाग के पीछे की ओर मस्तिष्क के नीचे एक छोटी मटर के दाने के बराबर ग्रंथि है और थायराइड हमारे कंठ में होती है। इसे गल – ग्रंथि भी कहते हैं। पिट्यूटरी-ग्रंथि के ठीक से काम करने से शरीर के हर एक अंग का समुचित विकास होता है, मोटापा नहीं आता। स्नायुओं को अपने मूल रूप में रखना, रोगों से बचाव इसके मुख्य कार्य हैं। गल-ग्रंथि के समुचित कार्य करने से सभी रसायन क्रियाएं सम रहती हैं। पाचक रसों को बढ़ावा मिलता है। लंबाई बढ़ाने के साथ-साथ इसका मुख्य कार्य पुरुषत्व की वृद्धि, जठराग्नि को बढ़ाना, शरीर में एकत्रित वसा को नियंत्रित करना आदि है।
इसका दूसरा कारण पैतृक होता है। माता-पिता मोटे हों, तो बच्चे भी मोटे हो जाते हैं। उसका कारण भी ग्रंथियां हैं। अधिक भोजन करना, मीठा अधिक खाना, आलसी रहना, श्रम न करना, अधिक सोना, व्यायाम न करना आदि इसके अन्य कारण हैं।
मोटे व्यक्ति में रक्त कम बनता है, शरीर में चर्बी अधिक एकत्र हो जाती है। रक्त संचालन में बाधा पड़ती है। शरीर में लचक नहीं रहती। श्वास जल्दी-जल्दी चलता है, जिससे फेफड़े पूरी तरह सक्रिय नहीं हो पाते। रक्त की शुद्धि नहीं होती। चर्बीीं होने से नाड़ी-संस्थान भी पूरी तरह कार्य नहीं करता। मोटे व्यक्ति की बुद्धि का विकास भी पूरी तरह नहीं होता।
उपचार:
मोटापा दूर करने के लिए तीन बातों की आवश्यकता है।
- योगासन
- मालिश
- भोजन का परहेज
1. योगासन:
प्रतिदिन व्यायाम करना एकमात्र उपचार है। योगासन व्यायाम इसमें बहुत सहायक होता है। आसनों से ग्रंथियां सक्रिय होती हैं, जिससे शरीर में चर्बी एकत्र नहीं होती, जो है वह ढलती है।
सुबह पार्क में तेज चलकर सैर करना, मुख बंद कर नासिका से श्वास लेना और छोड़ना, हल्की-हल्की दौड़ लगाना। योगासनों में सूर्य नमस्कार, कमर चक्रासन, वज्रासन, उष्ट्रासन, शलभासन (पहले दाएं पांव को उठाएं, फिर बाएं को और फिर दोनों को इकट्ठा)|
नावासन :
पेट के बल लेटें। हाथों को सिर से ऊपर ले जाएं। अब दोनों ओर से, हाथों को ऊपर, पांवों को नीचे खींचते हुए केवल पेट पर आगे-पीछे पूरी शक्ति से दुलाएं।
सर्पासन:
पेट पर लेटे हुए हाथों को पीठ पर एक-दूसरे में फंसा लें। श्वास भरकर आगे-पीछे से उठाकर 8-10 बार दाएं-बाएं डोलें। यह दोनों आसन मोटापे के लिए बहुत लाभकारी हैं।
हस्तपादोत्तानासन, मकरासन, पवनमुक्तासन आदि का प्रतिदिन अभ्यास करें। कुछ दिन अभ्यास के बाद हलासन और सर्वांगासन को और जोड़ लें। यह दोनों आसन आपकी पिट्यूटरी ग्रंथि तथा गल-ग्रंथि को स्वस्थ करने में बहुत मदद करेंगे।
मालिश:
प्रतिदिन स्नान करते समय 10-15 मिनट छोटे तौलिए से सारे शरीर की पानी से मालिश करें। जहां-जहां अधिक चर्बी हो, वहां अच्छी तरह पानी वाले तौलिए से रगड़ें, सर्दियां हो, तो हल्के गर्म पानी से करें, गर्मियों में ताजे ठंडे पानी से। सर्दियों में गर्म पानी से मालिश के बाद ताजे पानी से स्नान करें।
शाम को सूखी मालिश करें। चर्बी वाले स्थान को मसलें। पेट के बल दरी पर लेट जाएं। किसी की मदद से गर्दन से लेकर पांव तक थपकी करवाएं। हल्के-हल्के मुक्के लगवाएं। मांस को चियुटी भरकर मसलें। मांस को पकड़कर झकझोरें। पानी से तथा सूखी मालिश करवाने से चर्बी अपना स्थान छोड़ती है, ढलती है।
सप्ताह में दो बार गर्म पांव का स्नान लेकर या वाष्प स्नान लेकर पसीना लेने से वजन कम होता है। इसके तुरंत बाद रगड़ कर स्नान करें।
2. आहार:
कुछ दिनों के व्यायाम, मालिश तथा पांव के गर्म स्नान से चर्बी ढलने लगेगी, भूख कम हो जाएगी। वसा आपकी खुराक बनकर अपने को खाने लगेगी। इसके साथ भोजन का परहेज करने पर बहुत जल्दी लाभ होगा। अपना पेट सब्जी के सलाद, कच्ची सब्जी के रस (पालक, गाजर, लौकी, पेठा, खीरा आदि), फल व फलों के रस (संतरा, मौसमी आदि), सब्जियों के सूप आदि से भरें। सारे दिन केवल एक-दो साग वाले आटे की चपाती और क्रीम निकले दूध में छोटी इलायची, अदरक उबाल कर लें। दिन में दो-तीन बार नीबू पानी लें। यदि रोटी, चावल नहीं खाना हों, तो नीबू पानी में एक चम्मच मधु मिलाकर ले सकते हैं। सर्दियों में थोड़ा गर्म पानी, गर्मियों में ताजे पानी में।
सुबह उठते ही नीबू पानी; 8-8:30 बजे कोई कच्ची सब्जी का या फल का रस; 10 बजे क्रीम निकला दूध; 250 – 300 ग्राम या इतना ही दही का मट्ठा, नमक-जीरा मिलाकर; 12 बजे – कोई फल, फल का रस या गाजर का जूस आदि (यदि इनका मौसम हो, तो) लें; 2 बजे- कच्ची सब्जी का सलाद, भाप से बनी हरी सब्जी, दही का रायता। यदि आवश्यकता हो, तो एक-आधा चपाती; 5 बजे – नीबू पानी या फल का रस; 7:30 बजे – सब्जी का सूप, काले चनों का सूप, कोई फल या एक चपाती, सब्जी, सलाद कोई साग-पालक, मेथी,बथुआ पीसकर उसमें आटे को सानें। इसकी चपाती ही खाएं।
3. सावधानियां:
यदि भूख कम हो जाए, तो चपाती बिल्कुल न लें, खुराक कम कर दें। पुरानी आदतों के कारण कुछ दिन इस प्रकार के भोजन से कष्ट होगा, परंतु कुछ दिन लगातार चलाने से शरीर अपने को उसके अनुसार ढाल लेता है और लाभ भी मिलने लगता है। यदि भूख कुछ अधिक लगे, तो थोड़ा भुना हुआ चना या मुरमुरा खा सकते हैं।
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