अतिव्यस्त दिनचर्या होने के कारण लोग अपने खाने में न तो जरूरी तत्वों की तरफ ध्यान रख पाते हैं और न ही शारीरिक व्यायाम के लिए समय दे पाते हैं। भागदौड़ के इस आधुनिक युग में आज आम इंसान फास्ट फूड पर निर्भर होता जा रहा है, जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। एक तरफ आज हम संतुलित आहार को नजर-अंदाज करते हैं, वहीं दूसरी तरफ हमारे खाना खाने के अनुचित तरीके भी बीमारियों का कारण बनते हैं।
खाने से पहले हाथ धो लें
भोजन से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह साबुन से धो लें ताकि हाथों में मौजूद बैक्टिरीया आपके खाने के साथ आपके शरीर में प्रवेश कर नुकसान न पहुचाएं।
बैठकर खाएँ
भोजन बैठकर ही खाएँ, क्योंकि चलते-चलते खाना खाने से पाचनक्रिया पर असर पड़ता है। बैठकर खाते समय हम सुखासन की स्थिति में होते हैं, जिससे कब्ज़, मोटापा, एसिडिटी आदि पेट सम्बंधी बीमारियाँ नहीं होती हैं ।
व्यायाम करने के तुरंत बाद न खाएँ
खाना पीयो और पानी खाओ
पानी
- खाने से आधा घंटा पहले व बीच में 2-4 घूँट पानी ले सकते हैं, लेकिन खाना खाने के बाद पानी नहीं लेना चाहिए। ज्यादा पानी पीने से पाचनतंत्र में समस्या आ जाती है।
- खाने के बाद पानी से कुल्ला जरूर करना चाहिए, इससे जो भी खाने के कण दाँतों में फंसे होते हैं वो निकल जाते हैं। कुल्ला करके उस पानी को पी भी सकते हैं ।
- जैसे कि पुराने बुजुर्ग भी कहा करते थे- “पानी ओक दा,सौदा रोक दा”, यानि ओक (अंजुलि) से पानी पीया जाए तो वो बैस्ट है। जब तक होठों से पानी नहीं लगता, तब तक प्यास नहीं बझती| हमारे होंठ गीले होने जरूरी हैं, क्योंकि प्यास हमारी ग्रंथियों को ही लगती है। अगर ओक से पानी पीया जाए तो उसका स्वाद भी ज्यादा देर तक रहता है।
- हलवा व तली हुई चीजें खाने के बाद आधा घंटा पानी नहीं पीना चाहिए, इससे गला खराब होने की समस्या से आप बचे रहेंगे।
- अगर आप गले को बढ़िया बनाना चाहते हैं तो गर्म व ठंडा साथ-साथ नहीं लेना चाहिए। ठंडा खाने के 10-15 मिनट बाद ही किसी गर्म पदार्थ का सेवन करें। अगर आप धूप में बहुत जोर-शोर से काम कर रहे हैं और बर्फ़ वाला पानी एकदम से पी लिया तो आपको नज़ला हो सकता है, बुखार हो सकता है, आपका गला खराब हो सकता है, और अन्य भी बहुत सी बीमारियाँ पैदा हो सकती हैं। उसकी बजाए सामान्य पानी पीजिए ।
खाना खाने का ढंग
- खाना खाते समय आपस में बातचीत नहीं करनी चाहिए, अन्यथा खाना श्वास-नली में अटक सकता है। खाना अगर सुमिरन करते हुए खाएँ तो सोने पर सुहागा है।
- हमेशा खाना मुँह बंद करके ही खाना चाहिए ।
- निश्चित समय पर ही खाएँ । सारा दिन खाते ही न रहें। सुबह के समय नाश्ता अच्छा, यानि थोड़ा हैवी लें। दोपहर को उससे कम और रात को हल्का खाएँ। जैसे अक्सर कहा जाता है। कि ‘नाश्ता राजा जैसा, दोपहर का खाना रानी जैसा व रात का खाना भिखारी जैसा होना चाहिए। रात को 8 बजे सूरज छिपने के बाद खाना न खाएं। रात को बहुत भारी खाना खाकर सोना पाचन-शक्ति व वजन के हिसाब से ठीक नहीं है।
भूख लगने पर ही खाएँ
दालें व सोयाबीन
तले पदार्थ
Junk food
Junk food बहुत ही खतरनाक हैं। रोते हुए बच्चे से माँ-बाप का पीछा तो जल्दी छूट जाता है, लेकिन बच्चों के साथ सारी उम्र के लिए रोग जुड़ जाते हैं। 30-35 साल की उम्र में जाते-जाते उन्हें तरह-तरह के रोग लगने शुरू हो जाते हैं, मांसपेशियों की समस्या आने लग जाती है, तेजाब बनने लग जाता है और अंदर बहुत सारी बीमारियाँ घर कर जाती हैं। हाई ब्लॅड प्रैशर व मोटापा इस तरह के खाने के ही परिणाम हैं।
घी का सेवन
“सौ चाचे ते इक पेयो, सौ बीमारियाँ ते इक घियो। “
पंजाबी की यह कहावत बिल्कुल सही है। घी खाना गलत नहीं है लेकिन घी खाकर बैठना या खुर्राटें मारना गलत है। मेहनत जरूरी है। अब तो साईंस भी इस बात को मान चुकी है कि देशी घी ही पॉवर का सबसे बढ़िया स्रोत है। घी सेहत के लिए अच्छा है पर उसके बाद शारीरिक मेहनत करना जरूरी है ताकि मोटापा न आए। घी, दूध, मक्खन, दही जितना मर्जी खाओ। घी खाओगे तो उससे पेट कम होता है।घी सेहत के लिए अच्छा है पर उसके बाद शारीरिक मेहनत करना जरूरी है ताकि मोटापा न आए । घी, दूध, मक्खन, दही जितना मर्जी खाओ। घी खाओगे तो उससे पेट कम होता है। इसमें ऐसे रसायन होते हैं जो पेट को कम करते हैं। घी, दूध आदि वस्तुएं पाचन क्रिया को बढ़ाती हैं। घी शरीर को सुदृढ़ बनाता है, पर अगर आपको घी खाने की आदत नहीं है, तो पहले थोड़ी मात्रा में खाएं। कभी भी घी में कोई चीज़ तल कर मत खाएं। घी कच्चा खाना चाहिए। आप इसे हल्का सा गर्म कर सकते हैं और फिर सब्ज़ी, दूध या चपाती पर डाल कर खा सकते हैं|
0 Comments