सिरदर्द (Headache)

सिरदर्द: कारण, उपचार और आहार || Headache: Treatment & Causes

सिरदर्द एक आम रोग है। विशेषकर महिलाएं इस रोग से अधिक ग्रसित रहती हैं। मासिक स्राव के समय ठंड लग जाने से जब रक्त आना बंद हो जाता है, तब उन्हें सिरदर्द होने लगता है। कब्ज का रहना, पाचन खराब रहना, वायु का प्रकोप होना, शरीर में रक्त की कमी होना, अधिक परिश्रम करना, मानसिक तनाव में रहना, देर रात तक जागना आदि के कारण सिरदर्द होता है।

मलेरिया, सन्निपात का बुखार, निमोनिया व पेट तथा लिवर की बीमारियों में जब रक्त में विष एकत्र होने लगता है, तब भी सिरदर्द रहने लगता है। जिन्हें नींद नहीं आती हो, हृदय रोग हो, कई अन्य कारणों से सिर में पर्याप्त रक्त न पहुंच पाता हो, वे भी सिरदर्द रोग से पीड़ित रहते हैं। कई लोगों को यह रोग आधे सिर में भी होता है। वस्तुतः सिरदर्द को आने वाली स्नायु संबंधी रोगों की सूचना मात्र समझना चाहिए।

उपचार:

गर्म पांव का स्नान 20 मिनट तक करें। तत्पश्चात् ताजे पानी से शरीर को रगड़कर स्नान करें। उसके बाद आधे घंटे की योग-निद्रा करने से इस रोग में विशेष लाभ होता है।

यदि पेट खराब हो, तो सप्ताह में दो या तीन बार कुंजल करने, प्रतिदिन जल नेति का अभ्यास करने तथा पेट पर गर्म-ठंडा सेंक चार बार करने से आराम मिलता है। सिर, गर्दन तथा पीठ की मालिश, जिसमें थपथपाना, ठोकना तथा कंपन देना है। इसे एक सप्ताह लगातार, फिर सप्ताह में दो बार लें। रात में जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठ कर खुले पार्क में सैर करना, योगाभ्यास करना तथा प्राणायाम करना इसकी प्रधान चिकित्सा है। योगासनों में पश्चिमोत्तानासन, धनुरासन, उष्ट्रासन, हलासन, मकरासन, सर्वांगासन तथा मत्स्यासन का लगातार अभ्यास करें। प्राणायाम में कपालभाति, शीतली तथा नाड़ी शोधन का अभ्यास करें। गर्दन तथा पीठ पर पानी की तेज धार, (जिसे जैट बाथ कहते हैं) मारकर 10 मिनट स्नान करने से विशेष लाभ मिलता है।

गर्मियों में सिर तथा गर्दन को दिन में तीन-चार बार ठंडे पानी से धोएं। इससे नाड़ी यंत्र शक्तिशाली बनते हैं।

आहार:

सिरदर्द में फलाहार तथा दूध ही सबसे उत्तम आहार है। पहले 7 दिनों तक फलों तथा सब्जियों का ताजा रस लेना चाहिए। साथ में, एक-आध बार दूध ले सकते हैं। सुबह दो चम्मच आंवले का रस आधे चम्मच मधु के साथ लें।
बाद में भोजन तालिका इस प्रकार रखें :
सुबह 6-7 के बीच : नीबू-पानी, नीबू-पानी-मधु के साथ या आंवले का रस मधु के साथ।
सुबह 8 बजे : फल का रस या गाजर का रस।
सुबह 9.30 बजे : किशमिश, मुनक्का, अंजीर तथा बादाम की भीगी हुई 7-8 गिरी। इसके साथ इलायची, अदरक डालकर उबला एक गिलास दूध।
12 बजे : फलों का रस या फल ।
1.30 बजे : भोजन में सलाद, सब्जी, साग वाली चपाती, दही आदि लें।
5 बजे : फल ।
7 बजे : फल व सब्जी का सूप।
9.30 बजे रात्रि : दो चम्मच घी, 7-8 बादाम की छिली हुई गिरी, थोड़ा खसखस, छोटी इलायची तथा 3-4 काली मिर्च को मिक्सी में या कुंडी-सोटे में पीस लें। इसमें थोड़ा पानी मिलाकर हल्के घी में भूने और 200 मिलि. दूध में डालकर उबाल लें। इसे रात में सोते समय पी लें। इससे स्नायुओं का तनाव दूर होगा और अच्छी नींद आएगी।

भोजन में भूख के अनुसार ही खाना खाएं। सप्ताह में एक दिन केवल फल व दूध पर ही रहें। रात में गाजर व दलिए की खीर भी ले सकते हैं। गर्मियों में सुबह नाश्ते में बादाम रगड़कर बनाई गई ठंडाई भी ले सकते हैं। रात में आम के साथ ठंडा दूध पीने से भी लाभ मिलता है।