नजला-जुकाम-खांसी (Cold and Cough)

नाक के रास्ते पतले कफ निकलने को नजला-जुकाम कहते हैं। इससे आंखें लाल, गला खराब तथा सिर भारी रहता है। हम जो कुछ भी खाते हैं, उसकी पाचन क्रिया पूरी होने के बाद बने रक्त का ऑक्सीजनीकरण होता है। नाक के द्वारा पूरा ऑक्सीजन न मिलने से यह क्रिया पूरी नहीं होती और रक्त में आवश्यक गर्मी न आने से यह रोग होता है, जिससे खाया-पिया नजले जुकाम के रूप में बाहर निकलता रहता है।
कारण:
पूरा श्वास न लेना, नाक का खुला न रहना, मुख से श्वास लेने की आदत, बंद जगहों पर रहना, सुबह सैर व्यायाम न करने आदि के कारण पर्याप्त ऑक्सीजन फेफड़ों को नहीं मिल पाती, जिससे इस रोग की स्थिति बनती है। इस बीमारी से नाक से सूंघने की शक्ति तथा जुबान के स्वाद का भी पता नहीं चलता। तीन-चार दिनों के बाद बलगम गाड़ा हो जाता है और फिर हल्की खांसी या छींकों के साथ कफ निकलता है।
गलत खान-पान, पेट का ठीक न रहना, कब्ज, मैदे की तथा अन्य कफ तथा वायुकारक वस्तुओं का प्रयोग, शरीर से पसीना न निकलना, शरीर को आवश्यकतानुसार गर्म न रखना आदि अनेक कारण इस रोग के होते हैं। यदि नजले-जुकाम की स्थिति बनी रहे, तो आंखें कमजोर हो जाती हैं, कानों में कम सुनाई पड़ने लगता है, बाल सफेद हो जाते हैं तथा झड़ने लगते हैं। इसके बिगड़ने से दमा-ब्रोंकाइटिस, तपेदिक आदि कई भयंकर रोग हो जाते हैं, जो मौत तक साथ जाते हैं।
शुरू-शुरू में नजला-जुकाम स्वतः ही तीन दिनों में ठीक हो जाता है। केवल भोजन छोड़ देने तथा थोड़ा गर्म पानी नीबू के साथ लेने से और आराम करने से यह ठीक हो जाता है। जुकाम लगना प्रकृति की एक चेतावनी है कि शरीर में विकार इकट्ठे हो रहे हैं। प्रकृति इन छोटे-छोटे रोगों-बुखार, दस्त, नजला, जुकाम, फोड़े-फुंसियों वगैरह से शरीर के विकार निकालना चाहती है। ऐसे रोगों से संभल जाना, परहेज कर लेना और आगे से अपने रहन सहन, खान-पान को बदलकर गलती का सुधार कर लेना चाहिए, अन्यथा ये रोग बहुत-सी बीमारियों को जन्म दे सकते हैं।
उपचार:
नेति की आदत डालकर नजला-जुकाम से सदा के लिए बचा जा सकता है। सूत्र तथा जल नेति दोनों ही करनी चाहिए। इसके बाद भस्त्रिका प्राणायाम के तीनों व्यायाम करना और दिन में एक-दो बार सफेदे के पत्तों का वाष्प ले लेना इसका उपचार है।
दिन में एक बार या एक दिन छोड़कर गर्म पांव का स्नान कर लेने से भी छाती साफ हो जाती है व जुकाम ठीक हो जाता है।
योगासनों में सूर्य नमस्कार, उष्ट्रासन, धनुरासन, हलासन तथा मत्स्यासन का प्रतिदिन अभ्यास करना चाहिए। कपालभाति तथा भस्त्रिका प्राणायाम का भी अभ्यास करें।
छाती तथा पीठ पर धूप में मालिश तथा दोनों जगह थपकी देने से भी छाती खुलती है। धूप में मालिश के बाद स्नान कर लें।
आहार:
तीन दिनों में चार बार गर्म पानी, नीबू तथा मधु का प्रयोग करें। इसी से जुकाम ठीक हो जाएगा या एक सप्ताह इसके साथ फल व सब्जी का रस तथा सब्जी का सूप पीने से लाभ मिलेगा।
दिन में दो बार अदरक, इलायची, काली मिर्च की चाय पिएं। जूस, सूप तथा इस चाय की खुराक को दिन में केवल 8 बार लें। इससे पूरे शरीर में बदलाव आ जाएगा। इसके बाद एक समय सादा भोजन, दूसरे समय फल तथा सब्जियों का सूप और सुबह-शाम अदरक की चाय लें। ऐसा एक माह तक करें। इस खान-पान से एक-दो वर्ष तक हर प्रकार के रोग से बचे रहेंगे। यदि खांसी अधिक हो, तो अदरक के रस में थोड़ा मधु मिलाकर दिन में दो बार लें। तथा मुलठी चूसें। इससे रोग ठीक हो जाएगा।
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