विटामिन 'ए'

इसे ‘वृद्धिकारक विटामिन’ भी कहा जाता है। यह शरीर में कैरोटीन नामक पदार्थ से बनता है। कैरोटीन वनस्पतियों से हमारे शरीर में पहुंचता है। यही कैरोटीन शरीर में पहुंचकर रस विशेष द्वारा विटामिन ‘ए’ में परिवर्तित हो जाता है।
प्राप्ति के साधन
दूध, मक्खन, हरी साग-सब्जियां, गाजर, टमाटर, ताजे फल, विशेषकर पपीता, आम और खुमानी, काजू, बादाम तथा अखरोट ।
स्वस्थ मनुष्य के लिए इसकी दैनिक आवश्यकता 5,000 यूनिट हैं।
विटामिन ‘ए’ के लाभ
1. शरीर की वृद्धि के लिए, विशेषकर छोटे बच्चों तथा गर्भ
स्थ शिशुओं के लिए यह बहुत आवश्यक है। इसकी कमी से पूर्ण विकास में बाधा पड़ती है।
स्थ शिशुओं के लिए यह बहुत आवश्यक है। इसकी कमी से पूर्ण विकास में बाधा पड़ती है।
2. इसकी कमी से बहुधा जुकाम, खांसी, निमोनिया तथा श्वास-पथ के अन्य रोग हो जाते हैं।
3. विटामिन ‘ए’ आंखों को लाभ पहुंचाता है। इसकी कमी से आंखें कमजोर हो जाती हैं।
4. त्वचा के कोषों को भी विटामिन ‘ए’ की आवश्यकता रहती है। यह त्वचा की कोमलता और स्निग्धता को बनाए रखता है। इसकी कमी से स्नायुविक तंतुओं पर बुरा प्रभाव पड़ता है तथा पायरिया और पथरी रोग होने का डर रहता है।
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